Computer Graphics से हम लोग डिजिटल आर्ट बना सकते है जिसकी मदद से हम लोग वीडियो को एडिट कर सकते है प्रोग्राम और साथ ही साथ मॉडलिंग भी की जा सकती है क्या आप लोगो को पता है अगर किसी डिज़ाइन को हाथ से बनाया जाये तो काफी समय लग जायेगा उसमे कुछ भी बदलाव करना कितना मुश्किल हो जायेगा इसलिए आज के टाइम में डिजिटल Graphics का उपयोग किया जाता है जिसको आप कभी भी चेंज कर सकते है पहले के समय में कोई प्लेटफार्म नही था जिसकी वजह से लोगो को अपने हाथ से डिज़ाइन करना पड़ता था जिसमे काफी समय लग जाता था और उसमे अगर बदलाव करना हो तो बहुत परेशानी होती थी

आये जानते है computer graphics के टाइप ये मुख्य दो प्रकार के होते है
रास्टर ग्राफ़िक्स और वेक्टर ग्राफ़िक्स
सबसे पहले वेक्टर ग्राफ़िक्स के बारे में जानते है जो वेक्टर ग्राफ़िक्स होते है वो मैथमेटिकल फार्मूला के बेस में तैयार किये गए है इसी फार्मूला के अनुसार इसमें कोई भी इमेज डिज़ाइन कर सकते है इसमें जो भी काम होता है वो उसके पॉइंट लाइन्स और कर्व्स पर निर्मित है
रास्टर ग्राफ़िक्स को हम लोग bitmap भी कह सकते है जैसा की मैंने बताया की इसका प्रयोग हम लोग डिजिटल इमेज बनाने के लिए उपयोग करते है इसमें बहुत ही छोटे छोटे पिक्सेल होते है जो हमारी डिजिटल इमेज को बनाने में मदद करते है रास्टर फाइल दो तरह के रेसोलुशन पर काम करती है dpi और ppi पर काम करती है जिसका अर्थ है (dotch par inch ) और (Points par inches )हम सिस्टम में जिस भी टाइप की इमेज तैयार करते है जैसे की jpeg , gif , png होती है लेकिन इस ग्राफ़िक की एक कमजोरी ये है जैसे आप कोई भी इमेज इससे बनायीं गयी ज़ूम करंगे तो उसके पिक्सेल फटने लगते है
पिक्सेल डेंसिटी क्या है और ये कैसे काम करती है

पिक्सेल डेंसिटी का शार्ट फॉर्म PPi कहा गया है जब भी हम कोई स्मार्टफोन खरीदते है उसमे हर स्मार्टफोन की अलग अलग पिक्सेल डेंसिटी दी गयी होती है अगर आपके स्मार्टफोन में डिस्प्ले न होतो क्या आप लोग स्मार्टफोन उपयोग कर पायंगे बिलकुल नही अगर आपके स्मार्टफोन की डिस्प्ले का का resolution जितना काम होता है उसकी डिस्प्ले बेकार हो जाती है
और जिस स्मार्टफोन की पिक्सेल डेंसिटी जितनी ज्यादा होती है उस स्मार्टफोन की डिस्प्ले उतनी अच्छी होती है पिक्सेल डेंसिटी छोटे छोटे components से मिलकर बने होते है जो हमारे डिस्प्ले और उसके कलर में मदद करता है
पिक्सेल काम कैसे करती है
एक डिस्प्ले बनने के लिए उसमे छोटे छोटे मिनी पिक्सेल होते है जिसमे हर तरह के कलर होते है लेकिन मुख्य कलर ब्लू, ग्रीन , रेड होते है
ये कलर काम कैसे करते है जैसे जैसे ये कलर को अलग अलग करते है उसमे जो pigments जरुरी होते है उनको अपनी तरफ आकर्षित कर lete है बक्कि बचे हुए कलर को हटा देते है जिसकी वजह से हम सभी लोगो को स्मार्टफोन में अच्छा डिस्प्ले देकने को मिलता है
आमतौर में लोग हमेसा यही सवाल पूछते है कौन सी डिस्प्ले के लिए कितना रेसोलुशन होना चाहिए आजकल सभी स्मार्टफोन में सभी स्मार्टफोन में बेस्ट पिक्सेल डेंसिटी दी जाती है अगर आप लोग oneplus , apple जैसे स्मार्टफोन में देखेंगे की उसमे आपको ५०० से ज्यादा पिक्सेल डेंसिटी देकने को मिलती है
आये जान लेते है है की मोबाइल और लैपटॉप के लिए कितना पिक्सेल डेंसिटी होनी चाहिए क्योकि जब भी आप कोई स्मार्टफोन या लैपटॉप खरीदते है उसमे इसका बहुत रोल रहता है आप लोग इतना तो समझ गए होंगे की जिस स्मार्टफोन या लैपटॉप की पिक्सेल डेंसिटी ज्यादा होगी उसकी डिस्प्ले बेस्ट रहेगी और आप लोगो को एक बात और ध्यान में रखनी है की जिस लैपटॉप या स्मार्टफोन की स्क्रीन साइज जितना ज्यादा होती है उसमे उसके हिसाब से काम पिक्सेल डेंसिटी दिया है तो आपके डिवाइस में पिक्चर क्वालिटी ख़राब हो सकती है